हिंदी सिनेमा 2024/गंगुबाई काठियावाड़ी

शीर्षक - गंगुबाई काठियावाड़ी

निर्देशक - संजय लीला भंसाली 

शैली - नाटक

मूल भाषा - हिंदी

रनटाइम - 2 घंटे और 34 मिनट

निर्माता - आलिया भट्ट, अजय देवगन, शांतनु माहेश्वरी,विजय राज, इंदिरा तिवारी

लेखक - हुसैन जैदी


यह फिल्म गंगुबाई काठियावाड़ी के बारे में है , जिनके जीवन के बारे में एस. हुसैन जैदी के द्वारा लिखी पुस्तक माफिया क्वींस ऑफ मुंबई में है। फिल्म में काठियावाड़ की एक साधारण सी लड़की के उत्थान को दर्शाया गया है , जिसके पास नियति के तरीकों को अपनाने और उसे अपने पक्ष में मोड़ने के अलावा कोई और विकल्प नही थे। गंगुबाई का पुराना नाम गंगा होता है। वो एक अच्छे परिवार की गंगा मुंबई में आकर अभिनेत्री बनना चाहती होती है। वह 16 वर्ष की उम्र में अपने प्रेमी के साथ भाग आती है। परंतु वास्तव में वह गंगा को वैशियाघर में शीला को 1000 रुपए में बेच कर चला जाता है। जहा उसे रण्डी(prostitude)बनने के लिए धमकाया जाता है, और उसके बाद ही उसका नाम गंगू करती है।वो शीला को एक दिन चुनौती देती है, पूरे कार्यबल को एक दिन रात की छुट्टी के लिए फिल्मों में ले जाती है। नो वर्षो के बाद गंगू को वहा की मैडम बना दिया जाता है शीला की मृत्यु के बाद और तब से उसका नाम गंगुबाई पर जाता है। गंगुबाई उसके बाद कमाठीपुरम का राष्ट्रपति चुनाव ,में हिज़रा जिसका नाम राजियाबाई को हरा कर जीत जाती है । गंगुबाई कई बच्चियों को पढ़ाने के लिए कई मेहनत करती है। गंगूबाई प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू से मिलने के लिए नई दिल्ली जाती हैं और उनसे देश में वेश्यावृत्ति को वैध बनाने का अनुरोध करती हैं, लेकिन नेहरू इनकार कर देते हैं। इसके बाद गंगूबाई बताती हैं कि वेश्यावृत्ति के लिए लड़कियों की तस्करी करने वाले लोग कैसे बच जाते हैं, जबकि निर्दोष लड़की जीवन भर इसका शिकार होती है, कैसे वेश्याएं, जो राशन की दुकानों से रियायती भोजन खरीदने, सरकार से इलाज का लाभ उठाने जैसी बुनियादी नागरिक सुविधाओं का लाभ उठाने में भेदभाव का सामना करती हैं। अस्पताल, बैंकों से वित्तीय सेवा प्राप्त करना और पुलिस स्टेशनों और अदालतों जैसी कानून-व्यवस्था एजेंसियों से न्याय प्राप्त करना, उनके खिलाफ अभियान के कारण अब बेघर होने की कगार पर थे और वेश्याओं के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार से वंचित किया जा रहा था। . चर्चा के बाद, प्रधान मंत्री अंततः देश में वेश्यावृत्ति की स्थिति की जांच करने और कमाठीपुरा के वेश्यालयों को खाली होने से रोकने के लिए एक समिति गठित करने पर सहमत हुए। जैसे ही लड़कियों की तस्करी और यौन संबंध को अवैध बनाते हुए वेश्यावृत्ति वैध हो गई, गंगूबाई काठियावाड़ी को धन्यवाद, कमाठीपुरा ने अपने निरंतर अस्तित्व का जश्न मनाया। फिल्म यह कहते हुए समाप्त होती है, "रोना उसकी नियति थी, लेकिन मुस्कुराना उसका स्वभाव था। गंगू हीरोइन बनना चाहती थी, लेकिन यह मनहूस लड़की अपने आप में एक पूरी सिनेमा बन गई।" गंगुबाई काठियावाड़ी की सारी चीज़ें ही उसे एक अच्छी फिल्म बताने में सहायक है।

गंगुबाई काठियावाड़ी कहानी का केंद्र है गंगुबाई , जिसे बड़े ही सुन्दर तरीके से आलिया भट्ट ने निभाया है। भट्ट के द्वारा मुख्य किरदार का चित्रण बिल्कुल मंत्रमुग्ध कर देने वाला था। सहायक किरदार भी सराहने के पात्र है। विशेष रूप से अजय देवगन का उल्लेख है, जो गंभीरता और तीव्रता के साथ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। जो बात "गंगुबाई" को अलग करती है, वह पितृसत्तात्मक समाज के बीच महिला सशक्तिकरण का चित्रण है।

अन्तत: गंगुबाई काठियावाड़ी एक दिल को छू लेने वाली अच्छी मूवी है। महिला वेश्यावृत्ति के सामाजिक आचरण पर प्रकाश डालता है जो महिलाओं को आघात पहुँचाता है । सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह एक वेश्या चरित्र के प्रतिनिधित्व की एक वैकल्पिक व्याख्या प्रस्तुत करती है, न कि असुरक्षित महिला के रूप में, बल्कि एक विजयी शक्तिशाली नारीवादी व्यक्ति के रूप में।


नाम : तनु कुमारी क्रमांक : 440