हिन्दी/हिन्दी के प्रति लोगों में भावनात्मक संवेदना जरूरी

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 ← विकास में बाधा हिन्दी के प्रति लोगों में भावनात्मक संवेदना जरूरी

पी॰ जयरामन ने समाचार जगत को हिन्दी दिवस पर बताया कि हिन्दी के प्रति लोगों में भावनात्मक संवेदना होना बहुत जरूरी है। लोगों के मानसिक स्थिति में परिवर्तन लाये बिना कुछ भी नहीं हो सकता है। बिना भावनात्मक संवेदना के हिन्दी को विलुप्त होने से बचाया नहीं जा सकता है। इसके लिए सारे समाज को इसे स्वीकार करना अति आवश्यक है।

अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद सम्पादन

भारतीय भाषाओं के विद्वानों ने कहा कि संस्कृति, दर्शन, भाषा आदि के सामग्री का अनुवाद हर भारतीय भाषाओं में होना चाहिए। इससे लोगों का मानसिक स्तर बेहतर होगा।

भाषा की प्रतिष्ठा की स्थापना सम्पादन

हमें अपनी भाषा की प्रतिष्ठा की स्थापना करनी चाहिए। हिन्दी बनाम अंग्रेजी की बहस को छोड़ देना चाहिए और अपनी भाषा के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए।

बाहरी कड़ी सम्पादन