यूनिकोड
 ← उपयोग लाभ हानि → 

यूनिकोड से मुख्य लाभ यह है कि इसके द्वारा अन्य लिपियों का हम कम्प्युटर व अन्य उपकरण में उपयोग कर सकते हैं। इससे पहले तक कई प्रकार के फॉन्ट होते थे जिसका उपयोग हम केवल कम्प्युटर में चित्र बनाने और प्रिंट निकालने में करते थे। इस तरह के फॉन्ट में कृति देव आदि फॉन्ट शामिल है।

यूनिकोड के आने से पहले यदि हम किसी को ईमेल भी करते तो वह हमारी लिपि को देख नहीं पाता, क्योंकि उसके पास वही फॉन्ट होना चाहिए जिसका हम उपयोग कर रहे हैं और उसे उस ईमेल को भी उसी फॉन्ट में देखना पड़ता। यदि वह उसके जगह कोई और फॉन्ट में उस ईमेल को देखता तो उसे कुछ भी समझ नहीं आता।

ठीक यही चीज मोबाइल के साथ भी होता है। पहले के कई मोबाइल में यूनिकोड नहीं होता था और इस कारण भाषा का विस्तार नहीं हो पाता था। लेकिन जिस मोबाइल में यूनिकोड होता है और यूनिकोड फॉन्ट स्थापित रहता है तो वह बहुत आसानी से कोई भी ईमेल खोल कर देख सकता है। इससे फॉन्ट जानने का जरूरत नहीं पड़ता, क्योंकि यूनिकोड में कोई भी फॉन्ट से आप सन्देश पढ़ सकते हो।

मुख्य लाभ सम्पादन

यूनिकोड के कारण वर्तमान में हमें कुछ महत्वपूर्ण लाभ मिल रहा है, जो शायद यूनिकोड के न होने से न मिल पाता।

खोज सम्पादन

यदि आपको कोई हिन्दी में जानकारी खोजना हो तो उसके लिए यूनिकोड के कारण आप गूगल या बिंग जैसे खोज इंजन में आसानी से देवनागरी का उपयोग कर लिख सकते हो और परिणाम भी देवनागरी लिपि में देख सकते हो। इसके अलावा यूनिकोड से कई अन्य लिपियों को भी अपने अस्तित्व में रहने हेतु सहारा मिला है।

फॉन्ट सम्पादन

पहले यूनिकोड की कमी के कारण कई अलग अलग लोग अपना अलग अलग तरह का फॉन्ट बना लेते थे। कई का लिखने का तरीका अलग होता था और किसी फॉन्ट में लिखा हुआ दूसरे फॉन्ट में कचरे के रूप में दिखाई देता था। लेकिन यूनिकोड के आने के बाद यूनिकोड फॉन्ट कोई भी हो, जानकारी वही मिलती है। इससे अब सभी मिल कर यूनिकोड के लिए फॉन्ट बना सकते हैं। किसी को इस बात कि अब चिंता नहीं होती कि किसके पास कौन सा फॉन्ट होगा।

वार्तालाप सम्पादन

अब कोई भी अपने लिपि में अपने दोस्तों से बात कर सकता है। इससे आप आसानी से अपने वार्तालाप में कोई भी शब्द खोज भी सकते हो। यदि यूनिकोड नहीं होता तो फेसबूक में आप किसी से बात करते रहते और कोई सन्देश अपने लिपि में देते तो उसे कुछ समझ में ही नहीं आता। लेकिन अब यूनिकोड के कारण उसे कोई भी परेशानी नहीं होती है।