सामान्य अध्ययन २०१९/औद्योगिक क्षेत्रक

सामान्य अध्ययन २०१९
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  • सऊदी के अरामको तथा भारत से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों द्वारा संयुक्त रूप से महाराष्ट्र के रायगढ़ ज़िले में एक रिफाइनरी की स्थापना की जाएगी जो भारत में सबसे बड़ी ग्रीनफील्ड रिफाइनरी होगी।
  • गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस या जीईएम संवाद (GeM SAMVAAD) नामक राष्ट्रीय आउटरीच कार्यक्रम की शुरुआत वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में की गई। 19 दिसंबर, 2019 से 17 फरवरी, 2020 तक चलनेवाले इस कार्यक्रम का उद्देश्य पूरे देश के हितधारकों और खुदरा विक्रेताओं को इसमें शामिल करना है। साथ हीं खरीदारों की विशेष ज़रूरतों को पूरा करते हुए बाज़ार में स्थानीय विक्रेताओं को ऑन-बोर्डिंग सुविधा उपलब्ध कराना है।
9 अगस्त, 2016 को प्रारंभ गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस एक राष्ट्रीय सार्वजनिक खरीदारी पोर्टल है जो केंद्र और राज्य सरकारों के विभागों,सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों,स्वायत्त संस्थानों तथा स्थानीय निकायों की सभी खरीदारी संबंधी ज़रूरतों का समाधान करता है। इसके अलावा जीईएम पोर्टल का उपयोग,खरीदारी को संपर्क रहित,कागज रहित और कैशलेस बनाता है।

वर्तमान में जीईएम में 15 लाख से अधिक उत्‍पाद, लगभग 20,000 सेवाएँ, 3 लाख से अधिक पंजीकृत विक्रेता और सेवाप्रदाता तथा 40,000 से अधिक सरकारी खरीदार संगठन शामिल हैं।

  • भारत के केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्रालय द्वारा अबू धाबी अंतर्राष्ट्रीय पेट्रोलियम प्रदर्शनी तथा सम्मेलन में ‘इंडिया पैवेलियन’ (India Pavellion) का उद्घाटन किया। इंडिया पैवेलियन’ की स्थापना अपस्ट्रीम,मिडस्ट्रीम,डाउनस्ट्रीम और इंजीनियरिंग अनुभागों की 9 भारतीय तेल एवं गैस कंपनियों द्वारा की गई है। इसकी स्थापना में भारतीय पेट्रोलियम उद्योग संघ, हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय और भारतीय उद्योग परिसंघ का सहयोग लिया गया है। इसका उद्देश्य सरकार के परिशोधन, पाइपलाइनों और गैस टर्मिनलों में वर्ष 2024 तक 100 अरब डॉलर निवेश के लक्ष्य को प्राप्त करना है। इसके अलावा गैस आधारित बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं जैसे कि शहरी गैस वितरण एवं पाइप्ड नेचुरल गैस नेटवर्क का विस्तार और गैस आधारित उद्योगों में निवेश करना इसका उद्देश्य है।
  • संयुक्त राज्य इस्पात आयात निगरानी और विश्लेषण (Steel Import Monitoring and Analysis-SIMA) प्रणाली 16 सितंबर,2019 को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा लॉन्च की गई। इस्पात मंत्रालय के परामर्श से विकसित इस प्रणाली का उद्येश्य सरकार और इस्पात उद्योग (उत्पादक) तथा इस्पात उपभोक्ता (आयातक) सहित हितधारकों को इस्पात आयातों के बारे में अग्रिम सूचना देना,ताकि कारगर नीतिगत दखल दिया जा सके।
  • कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) ने भारत के स्टार्टअप वातावरण को बढ़ावा देने हेतु कुछ नीतिगत सुधारों को मंज़ूरी दी है। इस कदम से स्टार्टअप को फंड जुटाने में मदद मिलेगी,जबकि कंपनी पर प्रमोटरों (Promoters) का नियंत्रण भी बरकरार रहेगा। इसके अलावा भारतीय कंपनियों को अब डिफरेंशियल वोटिंग राइट्स वाले अधिक शेयर जारी करने की भी अनुमति दे दी गई है।
  • भारत का विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक (Purchasing Manager's Index- PMI) सितंबर (51.4) से अक्तूबर (50.6) में गिरकर दो वर्ष के सबसे निचले स्तर पर आ गया है। PMI विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियों का एक संकेतक है। यह एक सर्वेक्षण-आधारित प्रणाली है। इसकी गणना विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों हेतु अलग-अलग की जाती है तथा फिर एक समग्र सूचकांक का निर्माण किया जाता है।
PMI में 0 से 100 तक की संख्या होती है। 50 से ऊपर का आँकड़ा व्यावसायिक गतिविधि में विस्तार या विकास को दर्शाता है जबकि 50 से नीचे का आँकड़ा संकुचन (गिरावट) को दर्शाता है। PMI की तुलना पिछले माह के आँकड़ो से करके भी विकास या संकुचन का पता लगाया जा सकता है। PMI निवेशकों के साथ-साथ बाॅण्ड बाज़ारों की स्थिति को भी दर्शाता है।
  • वित्त मंत्रालय का राजस्व विभाग वैश्विक व्यापार बढ़ाने की अपनी रणनीतिक प्रतिबद्धता के तहत 1 से 7 अगस्त के बीच भारत का प्रथम राष्ट्रीय ‘टाइम रिलीज स्‍टडी’ अथवा समय सारणी अध्ययन [India’s first national Time Release Study (TRS)] कराएगा।

टाइम रिलीज स्टडी अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर मान्‍यता प्राप्‍त एक साधन (टूल) है जिसका उपयोग अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार के प्रवाह की दक्षता एवं प्रभावकारिता मापने के लिये किया जाता है और इसकी वकालत विश्व सीमा शुल्क संगठन ने की है। उत्तरदायी गवर्नेंस से जुड़ी इस पहल के ज़रिये कार्गो यानी माल के आगमन से लेकर इसे भौतिक रूप से जारी करने तक वस्तुओं की मंज़ूरी के मार्ग में मौजूद नियम आधारित और प्रक्रियागत बाधाओं (विभिन्‍न टच प्‍वाइंट सहित) को मापा जाएगा। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य व्‍यापार प्रवाह के मार्ग में मौजूद बाधाओं की पहचान करना एवं उन्हें दूर करना है। इसके साथ ही प्रभावशाली व्यापार नियंत्रण से कोई भी समझौता किये बगैर सीमा संबंधी प्रक्रियाओं की प्रभावकारिता एवं दक्षता बढ़ाने के लिये आवश्यक संबंधित नीतिगत एवं क्रियाशील उपाय करना है।

TRS के लाभ- इससे भारत को ‘कारोबार में सुगमता’ विशेषकर सीमा पार व्‍यापार संकेतक के मामले में अपनी बढत को बरकरार रखने में मदद मिलेगी जो सीमा पार व्‍यापार की व्‍यवस्‍था की दक्षता को मापता है। पिछले वर्ष इस संकेतक से जुड़ी भारत की रैंकिंग 146वीं से सुधरकर 80वीं हो गई।

इस पहल के अपेक्षित लाभार्थी निर्यात उन्मुख उद्योग और सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्यम (MSMEs) होंगे जो तुलनीय अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ भारतीय प्रक्रियाओं के और अधिक मानकीकरण से लाभ उठाएंगे। यह अध्‍ययन एक ही समय में 15 बंदरगाहों पर कराया जाएगा जिनमें समुद्री, हवाई, भूमि एवं शुष्‍क बंदरगाह शामिल हैं और जिनका आयात संबंधी कुल प्रवेश बिलों (बिल ऑफ एंट्री) में 81 प्रतिशत और भारत के अंदर दाखिल किये जाने वाले निर्यात संबंधी शिपिंग बिलों में 67 प्रतिशत हिस्‍सेदारी होती है। राष्‍ट्रीय स्‍तर वाला TRS आधारभूत प्रदर्शन माप को स्‍थापित स्‍थापित करेगा और इसके तहत सभी बंदरगाहों पर मानकीकृत परिचालन एवं प्रक्रियाएँ होंगी। TRS के निष्‍कर्षों के आधार पर सीमा पार व्‍यापार से जुड़ी सरकारी एजेंसियाँ उन मौजूदा एवं संभावित बाधाओं को पहचानने में समर्थ हो जाएंगी जो व्‍यापार के मुक्‍त प्रवाह के मार्ग में अवरोध साबित होती हैं। इसके साथ ही ये सरकारी एजेंसियाँ माल या कार्गो जारी करने के समय को घटाने के लिये आवश्‍यक सुधारात्‍मक कदम भी उठाएंगी। यह पहल केंद्रीय अप्रत्‍यक्ष कर एवं सीमा शुल्‍क बोर्ड की अगुवाई में हो रही है।

  • खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (Khanij Bidesh India Ltd) अर्थात् ‘KABIL’ खनन मंत्रालय की एक पहल है। इसका उद्देश्य भारत के घरेलू बाज़ार में महत्त्वपूर्ण खनिजों की सप्लाई सुनिश्चित करना है। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के तीन केंद्रीय प्रतिष्ठान; राष्‍ट्रीय एल्‍यूमि‍नियम कम्‍पनी लिमिटेड (NALCO), हिन्‍दुस्‍तान कॉपर लिमिटेड (HCL) तथा मिनरल एक्‍सप्लोरेशन कम्‍पनी लिमिटेड (MECL) को शामिल किया गया है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर, 2018 को अंतर्राष्ट्रीय समाधान समझौतों पर संयुक्त राष्ट्र संधि (United Nations Convention on International Settlement Agreements-UNISA) को अपनाया था। इस संधि पर हस्ताक्षर से निवेशकों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और विदेशी निवेशकों में वैकल्पिक विवाद समाधान (Alternative Dispute Resolution-ADR) पर अंतर्राष्ट्रीय प्रक्रिया के पालन में भारत की प्रतिबद्धता को लेकर भी विश्वास पैदा होगा।

  • केंद्र सरकार ने उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने के लिये औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग का नाम बदलते हुए इसमें परिवर्तन किया है।

केंद्र सरकार द्वारा दी गई अधिसूचना में पुनर्निमाण निकाय के प्रभार की चार नई श्रेणियों को भी शामिल किया गया है,जिसमें शामिल हैं - ♦ आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देना (खुदरा व्यापार सहित) ♦ व्यापारियों और उनके कर्मचारियों का कल्याण ♦ ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस की सुविधा से संबंधित मामले ♦ स्टार्ट-अप से संबंधित मामले विश्व इस्पात संघ (World Steel Association-worldsteel) के अनुसार, भारत जापान को प्रतिस्थापित कर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश बन गया है, जबकि चीन कच्चे इस्पात के उत्पादन में 51 प्रतिशत से अधिक भागीदारी के साथ दुनिया का सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक है।

  • दिवाला और दिवालियापन संहिता-2016इसके तहत डिफाल्ट के मामले में किसी बैंकिंग कंपनी को दिवाला समाधान प्रक्रिया प्रारंभ करने संबंधी निर्देश के लिए आरबीआई को प्राधिकृत करने के लिए 04 मई, 2017 को बैंकिंग नियमन संशोधन अध्यादेश 2017 लागू किया गया है। यह अध्‍यादेश बाध्‍य होकर बेची जाने वाली परिसम्‍पत्तियों के मामले में निर्देश देने का अधिकार भी रिजर्व बैंक को देता है। रिजर्व बैंक विवशतावश बेची जाने वाली परिसम्‍पत्तियों के बारे में बैंकिंग कंपनियों को सलाह के लिए बैंक की स्वीकृति के साथ समिति की नियुक्ति का निर्देश देने का अधिकार भी दिया है।[१]
भारतीय दिवाला (इन्सॉल्वेंसी) एवं दिवालियापन बोर्ड (Insolvency and Bankruptcy Board of India-IBBI) IBC के प्रशासन में पारदर्शिता और प्रशासन को बढ़ावा देने के लिये एक शीर्ष निकाय है, यह इंफ्रास्ट्रक्चर और मान्यता प्राप्त इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल (Insolvency Professionals) और सूचना सुविधाएँ (Information Utilities) स्थापित करने की दिशा में कार्य करेगा।
  • भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (The Insolvency and Bankruptcy Board of India-IBBI) ने भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (कॉरपोरेट्स के लिये दिवालियापन समाधान प्रक्रिया) नियम, 2016 और भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (ऋण शोधन प्रक्रिया) नियम, 2016 में संशोधन किया है।

यह संशोधन कॉरपोरेट कर्ज़दार (corporate debtor) की बिक्री की प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है। इसमें इस बात की भी व्यवस्था की गई है कि जैसे ही एक बार कॉरपोरेट देनदार की बिक्री होती है, वैसे ही ऋण शोधन की प्रक्रिया को कॉरपोरेट देनदार के विलय के बिना बंद कर दिया जाएगा। संशोधन के तहत यह आवश्यक है कि ऋण शोधन की प्रक्रिया शुरू होने के एक वर्ष के भीतर इसे पूरा कर लिया जाए। कंपनी अधिनियम, 2013 भारत में 30 अगस्त 2013 को लागू हुआ था। यह अधिनियम भारत में कंपनियों के निर्माण से लेकर उनके समापन तक सभी स्थितियों में मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।कंपनी अधिनियम के तहत राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण की स्थापना हुई है। इस अधिनियम ने ही ‘एक व्यक्ति कंपनी’ की अवधारणा की शुरुआत की।

  • केंद्र सरकार ने कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (National Company Law Tribunal-NCLT) का गठन किया। NCLT, भारतीय कंपनियों से संबंधित मुद्दों के लिये एक अर्ध-न्यायिक निकाय (quasi-judicial body) के रूप में कार्य करता है।
  • संहिता का उद्देश्य समयबद्ध तरीके से दिवालियापन की समस्या को हल करना है। इसके तहत मूल्यांकन और व्यवहार्यता निर्धारण का कार्य 180 दिनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिये। कंपनी के लिये अधिस्थगन अवधि 180 दिनों है जिसे 270 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है। स्टार्ट-अप और छोटी कंपनियों के लिए रिज़ॉल्यूशन समय अवधि 90 दिन है जिसमें 45 दिनों तक की वृद्धि की जा सकती है।
  • प्रॉक्सी एडवाइज़रों के लिये आचार संहिता

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) ने प्रॉक्सी एडवाइज़री फर्मों के लिये एक आचार संहिता प्रस्तावित की है। आचार संहिता में एक ‘अनुपालन या व्याख्या’ का दृष्टिकोण शामिल किया जाएगा जिसके तहत सूचीबद्ध कंपनियाँ प्रॉक्सी एडवाइज़रों की वजह से होने वाली समस्या के निवारण के लिये SEBI से संपर्क कर सकती हैं। अनुपालन या व्याख्या एक नियामक दृष्टिकोण है जिसमें सूचीबद्ध कंपनियाँ या तो अनुपालन कर सकती हैं या यदि वे ऐसा नहीं करती हैं, तो उन्हें सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट करना होगा की कि वे ऐसा क्यों नहीं करती हैं। प्रॉक्सी एडवाइज़री एक व्यक्ति/फर्म है जो कंपनी के संस्थागत निवेशकों या शेयरधारक को सलाह देता है कि वे कंपनी में अपने अधिकारों का उपयोग करने के लिये सार्वजनिक प्रस्ताव पर सिफारिश या वोटिंग हेतु सलाह दें। SEBI के अनुसार, प्रॉक्सी एडवाइज़र को सहायक व्यावसायिक गतिविधियों से होने वाले विवाद के संदर्भ में उचित कदम उठाने चाहिये। इसके अलावा, प्रॉक्सी एडवाइज़रों का बोर्ड अपने शेयरधारकों से स्वतंत्र होना चाहिये, क्योंकि इस तरह की स्थिति से हितों का टकराव बढ़ सकता है। इसके अलावा SEBI ने यह भी सुझाव दिया है कि संस्थागत निवेशक जैसे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक, पोर्टफोलियो मैनेजर, वैकल्पिक निवेश फंड और बुनियादी ढाँचा निवेश ट्रस्ट आदि, को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि उनके द्वारा नियोजित प्रॉक्सी एडवाइज़र फर्मों के पास प्रॉक्सी एडवाइज़री जारी करने की उचित क्षमता और सामर्थ्य है या नहीं।

  • केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लखनऊ में यूपी इन्वेस्टर्स समिट (UP Investors Summit) के दूसरे ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी (Ground Breaking Ceremony) का उद्घाटन किया।

इस योजना के दौरान 65 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक की 250 परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई। इस समिट का उद्देश्य केंद्र सरकार द्वारा सुशासन का एक मॉडल स्थापित करके ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस की सुविधा के लिये सक्रिय प्रयास करना है। यूपी इन्वेस्टर्स समिट के दूसरे ग्राउंड के तहत देश के प्रत्येक नागरिक को शामिल करते हुए दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में देश को शामिल करने हेतु 'ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया' के दृष्टिकोण के लिये प्रयास किये गए हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष ही यूपी इन्वेस्टर्स के पहले समिट का आयोजन किया गया था। पहले UP इन्वेस्टर्स समिट के दौरान विभिन्न सुधार कानूनों जैसे GST- वन नेशन, वन टैक्स का सरलीकरण, ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग पर राज्यों के बीच प्रतिस्पर्द्धा आदि ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में योगदान दिया तथा FDI में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। उत्तर प्रदेश में पिछले दो वर्षों के भीतर कानून और व्यवस्था की स्थिति में अभूतपूर्व सुधार हुआ है जो कि निवेश को आकर्षित करने और राज्य में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये महत्त्वपूर्ण है। जिस तरह से UP में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सामाजिक सुधार के विभिन्न पहलुओं पर काम हो रहा है, उसे देखते हुए आने वाले पाँच वर्षों में UP भारत में राज्यों के बीच व्यापार रैंकिंग तथा सामाजिक-आर्थिक विकास के क्षेत्र में आसानी से शीर्ष स्थान प्राप्त कर लेगा।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs-CCEA) द्वारा 4 मिलियन टन के आपातकालीन चीनी रिज़र्व (Sugar Reserve) बनाने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई है। साथ ही यह भी तय किया गया है कि चीनी मिलें गन्ना किसानों को 275 रुपए प्रति क्विन्टल का भुगतान करेंगी। लाभ: चीनी मिलों की तरलता में सुधार होगा। चीनी इंवेन्ट्री में कमी आएगी। घरेलू चीनी बाज़ार में मूल्य भावना बढ़ाकर चीनी की कीमतें स्थिर की जा सकेंगी और परिणामस्वरूप किसानों के बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान समय से किया जा सकेगा। चीनी मिलों के गन्ना मूल्य बकायों की मंज़ूरी से सभी गन्ना उत्पादक राज्यों में चीनी मिलों को लाभ होगा।

न्यू इकोनॉमी ग्लोबल सर्वे (New Economy Global Survey) एक ऑनलाइन सर्वे है जिसे हाल ही में ब्लूमबर्ग नामक कंपनी द्वारा आयोजित किया गया था।ब्लूमबर्ग द्वारा यह सर्वेक्षण 20 बाज़ारों के 2000 व्यावसायिक पेशेवरों के मध्य किया गया था। इस सर्वे में उन लोगों को शामिल किया गया था जिनकी आयु 30 से 65 वर्षों के बीच है और जो पूर्णकालिक रोज़गार में कार्यरत हैं। इस सर्वे के अंतर्गत लोगों से तकनीकी नवाचार क्षेत्र के बारे में जानकारी एकत्रित की गई।

स्‍फूर्ति योजनावर्ष 2019-20 के बजट के दौरान वित्त मंत्रालय द्वारा ‘पारंपरिक उद्योगों के उन्‍नयन एवं पुनर्निर्माण के लिये कोष की योजना/स्‍फूर्ति योजना (Scheme of Fund for Upgradation and Regeneration of Traditional Industries’- SFURTI) के तहत और अधिक साझा सुविधा केंद्रों की स्‍थापना करने का लक्ष्‍य रखा है।

इससे पारंपरिक उद्योगों को और ज़्यादा उत्‍पादक, लाभप्रद एवं सतत् रोज़गार अवसरों को सृजित करने में सक्षम बनाने के लिये क्लस्‍टर आधारित विकास को सुविधाजनक बनाया जा सकेगा। इसके तहत फोकस वाले क्षेत्र या सेक्‍टर बाँस, शहद और खादी समूह हैं। ‘स्‍फूर्ति’ योजना के तहत वर्ष 2019-20 के दौरान 100 नए समूह (Cluster) स्‍थापित करने की परिकल्‍पना की गई है जिससे 50,000 कारीगर आर्थिक मूल्‍य श्रृंखला से जुड़ सकेंगे। मत्‍स्‍य पालन एवं मछुआरा समुदाय खेती-बाड़ी से काफी हद तक जुड़े हुए हैं और ये ग्रामीण भारत के लिये अत्‍यंत महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। अतः मत्‍स्‍य पालन विभाग ‘प्रधानमंत्री मत्‍स्‍य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana- PMMSY) के ज़रिये एक सुदृढ़ मत्‍स्‍य पालन प्रबंधन रूपरेखा स्‍थापित किया जाएगा। इस योजना के ज़रिये अवसंरचना, आधुनिकीकरण, उत्‍पादकता, फसल कटाई उपरांत प्रबंधन और गुणवत्ता नियंत्रण आदि में आने वाली बाधाओं को दूर किया जाएगा। किसानों की उपज के साथ-साथ सहायक गतिविधियों से प्राप्‍त उत्‍पादों को बढ़ावा देने हेतु निजी उद्यमिता को आवश्‍यक सहयोग दिया जाएगा। 10,000 नए किसान उत्‍पादक संगठन बनाए जाएंगे, ताकि अगले पाँच वर्षों के दौरान किसानों के लिये व्‍यापक उत्‍पादन स्‍तर सुनिश्चित किया जा सके। पशु चारे के उत्‍पादन और दूध की खरीद, प्रोसेसिंग एवं विपणन के लिये बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को सृजित करके भी सहकारी समितियों के ज़रिये डेयरी को प्रोत्‍साहित किया जाएगा। स्‍टार्ट-अप के लिये डीडी चैनल शुरू करने का प्रस्ताव आम बजट 2019-20 रखा गया है। इसका उद्देश्य विभिन्न प्रकार के करों में छूट प्रदान करके रोज़गार को बढ़ावा देना है। यह विशेष डीडी चैनल स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करने में मदद करेगा और उन्हें एक विशेष मंच प्रदान करेगा। इस चैनल को स्‍टार्ट-अप खुद तैयार करेंगे और चलाएंगे। सरकार ने अपने कुछ नियमों में छूट देने का भी प्रस्ताव दिया है जिसमें तथाकथित ‘एंजेल टैक्‍स’ का मुद्दा भी शामिल है। स्‍टार्ट-अप में निवेश करने के लिये आवासीय मकान की बिक्री से प्राप्‍त होने वाले पूंजी लाभों की छूट अवधि 31 मार्च, 2021 तक बढ़ाए जाने का भी प्रस्‍ताव है। स्‍टार्ट-अप और उनके द्वारा जुटाई गई निधियों के संबंध में आयकर विभाग की ओर से किसी भी प्रकार की जाँच नहीं की जाएगी। विशेष प्रयोजन व्हीकल/इकाई (SPV) किसी कंपनी की एक सहायक कंपनी होती है जो मुख्य संगठन को दिवालिया होने से बचाती है।SPV ज़्यादातर बाज़ार से फंड जुटाने के लिये बनाई जाती है। तकनीकी रूप से SPV एक कंपनी की तरह ही कार्य करती है। इसे कंपनी अधिनियम में निर्धारित कंपनी के नियमों का पालन करना होता है। एक कंपनी की तरह, SPV एक कृत्रिम व्यक्ति है। इसमें एक कानूनी व्यक्ति के सभी गुण निहित होते हैं।

‘व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन’(UNCTAD) द्वारा जारी की गई ‘वैश्विक निवेश रिपोर्ट 2019’ के अनुसार, वर्ष 2018 में दक्षिण एशियाई क्षेत्र में आने वाले कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सर्वाधिक 77% हिस्सा भारत को प्राप्त हुआ है। यह निवेश मुख्यत: विनिर्माण, संचार और वित्तीय क्षेत्रों में प्राप्त हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि का मुख्य कारण सीमा पार विलय और अधिग्रहण (Cross border merger and Acquisitions- M & As) रहा।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production)केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा मासिक रूप से संकलित और प्रकाशित किया जाता है। IIP एक समग्र संकेतक है जो कि प्रमुख क्षेत्र (Core Sectors) एवं उपयोग आधारित क्षेत्र के आधार पर आँकडें उपलब्ध कराता है। इसमें शामिल आठ प्रमुख क्षेत्र (Core Sectors) निम्नलिखित हैं: रिफाइनरी उत्पाद (Refinery Products) विद्युत (Electricity) इस्पात (Steel) कोयला (Coal) कच्चा तेल (Crude Oil) प्राकृतिक गैस (Natural Gas) सीमेंट (Cement) उर्वरक। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों के सांख्यिकीय गतिविधियों के मध्य समन्वयन एवं सांख्यिकीय मानकों के संवर्द्धन हेतु मई 1951 में ‘केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय’ (CSO) की स्थापना की गई थी। यह राष्ट्रीय खातों को तैयार करने, औद्योगिक आँकड़ों को संकलित एवं प्रकाशित करने के साथ ही आर्थिक जनगणना एवं सर्वेक्षण कार्य भी आयोजित करता है। यह देश में सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) की सांख्यिकीय निगरानी के लिये भी उत्तरदायी है।
व्यवसायिक सुरक्षा तथा स्वास्थ्य पर ‘विज़न ज़ीरो’ तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन फरवरी 2019 में मुंबई में ‘विज़न ज़ीरो’ इस धारणा पर आधारित है कि सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण तीन प्रमुख मूल्यों को बढ़ावा देकर दुर्घटनाओं, बीमारियों और कार्य स्थल पर होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है।
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वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक- 2019 को इनसीड (INSEAD) बिज़नेस स्कूल द्वारा टाटा कम्युनिकेशंस और एडिको समूह (Adecco Group) के सहयोग से जारी किया गया है।इसके अंतर्गत वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्द्धा में देशों की क्षमता की माप की जाती है।सूचकांक में शीर्ष 5 स्थान प्राप्त करने वाले देश क्रमशः स्विट्ज़रलैंड, सिंगापुर, अमेरिका, नॉर्वे तथा डेनमार्क हैं।इस बार सूचकांक की थीम ‘उद्यमी प्रतिभा और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा’ (Entrepreneurial Talent and Global Competitiveness) है।शीर्ष स्थान प्राप्त करने वाले 10 देशों में 8 यूरोपीय देश शामिल हैं। शीर्ष स्थान प्राप्त करने वाले 8 यूरोपीय देश हैं: स्विटज़रलैंड, नार्वे, डेनमार्क, फ़िनलैंड, स्वीडन, नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम और लक्ज़मबर्ग। एशिया-पैसिफिक देशों में से 6 देश- सिंगापुर (2nd), न्यूज़ीलैंड (11th), ऑस्ट्रेलिया (12th), जापान (22nd), मलेशिया (27th) और दक्षिण कोरिया (30th) को शीर्ष 30 देशों में स्थान प्राप्त हुआ है। शीर्ष रैंकिंग वाले देश कई विशेषताओं को संदर्भित करते हैं, जैसे- प्रतिभा विकास और प्रबंधन को केंद्रीय प्राथमिकता के रूप में शामिल करना, उद्यमी प्रतिभा के लिये खुलापन, खुली सामाजिक-आर्थिक नीतियाँ साथ ही नवाचार के लिये मज़बूत और जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र।
स्टार्टअप इंडिया (Startup India) वर्ष 2016 में देशव्यापी स्तर पर लागू किया गया सरकार का एक बहुत ही महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम है। इसका मुख्य उद्देश्य स्टार्टअप को बढ़ावा देते हुए अर्थव्यवस्था में अधिक रोज़गार का सृजन करना है।देश की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या कार्यशील है और उन्हें काम देना सरकार की ज़िम्मेदारी है। सरकार ने इस कार्य के लिये 2500 करोड़ रुपए का आरंभिक कोष बनाया है, जिसे भविष्य में चार चरणों के माध्यम से 10,000 करोड़ करने की योजना है।


हाल ही में स्टार्टअपब्लिंक द्वारा वर्ष 2018 के लिये जारी स्टार्टअप इकोसिस्टम रैंकिंग में भारत को 100 देशों में से 17वाँ स्थान मिला है।वर्ष 2017 में भारत 37वें स्थान पर था।[२] रैंकिंग देते समय 1000 शहरों और 100 देशों के स्टार्टअप इकोसिस्टम को ध्यान में रखा जाता है।भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में बंगलूरू,नई दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, पुणे और चेन्नई टॉप-100 शहरों में शामिल हैं।पिछले वर्ष भारत में 3800 नए स्टार्टअप लॉन्च किये गए थे। भारतीय स्टार्टअप ने 2018 में 743 समझौतों के ज़रिये 11 बिलियन डॉलर का वित्त प्राप्त किया। रैंकिंग में USA, UK और कनाडा पहले तीन स्थानों पर काबिज़ हैं।

गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस या जेम (GeM)

  • वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस पोर्टल ने लेन-देन में चार गुना वृद्धि दर्ज़ की है, जबकि कुल विक्रेताओं की संख्या में भी दोगुनी वृद्धि दर्ज़ की गई है।
  • गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (Government e Marketplace-GeM) या GeM एक ऑनलाइन मार्केट प्लेटफॉर्म है जिसकी शुरुआत वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालयके तहत वर्ष 2016 में की गई थी।यहाँ सामान्‍य प्रयोक्‍ता वस्‍तुओं और सेवाओं की खरीद की जा सकती है।
  • सरकारी अधिकारियों द्वारा खरीद के लिये GeM गतिशील, स्‍वपोषित, प्रयोक्‍ता अनुकूल पोर्टल है।
  • इसे भारत के राष्ट्रीय खरीद पोर्टल (National Procurement Portal of India.) के रूप में परिकल्पित किया गया है।
  • इसे नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीज़न (इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय) के तकनीकी समर्थन के साथ आपूर्ति एवं निपटान निदेशालय (वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय) द्वारा विकसित किया गया है।
  • यह आपूर्ति और निपटान महानिदेशालय (Directorate General of Supplies and Disposals-DGS&D), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत कार्य करता है।
  • GeM पूरी तरह से पेपरलेस, कैशलेस और सिस्टम चालित ई-मार्केट प्लेस है जो न्यूनतम मानव इंटरफ़ेस के साथ सामान्य उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं की खरीद को सक्षम बनाता है।


पावर ग्रिड के छठें अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी एवं सम्मेलन GRIDTECH-2019 का आयोजन 3 से 5 अप्रैल 2019 तक नई दिल्ली के प्रगति मैदान में किया गया। मिनिस्ट्री ऑफ पावर, सेंट्रल बोर्ड ऑफ इरीगेशन एंड पावर तथा इंडियन इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के सहयोग से पावर ग्रिड के इस सम्मेलन काआयोजन। इसमें ट्रांसमिशन, डिस्ट्रीब्यूशन, रिन्यूएबल इंटीग्रेशन के क्षेत्र में नई तकनीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया। यह आयोजन स्मार्ट ग्रिड, संचार आदि प्रदर्शनियों और समवर्ती शिखर सम्मेलन के प्रदर्शकों,आगंतुकों और प्रतिनिधियों के लिये एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य सभी कंपनियों को विद्युत और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन करने, समग्र सार्वजनिक क्षेत्र के बारे में जागरूकता बढ़ाने, लाभ प्राप्त करने, भारत और विदेशों में विद्युत् बाज़ार में व्यापार के अवसरों की पहचान करने में मदद के लिये एक अवसर प्रदान करना है।


न्यूजेन मोबिलिटी समिट 2019-भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय === अंतर्राष्ट्रीय ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी केंद्र (International Centre for Automotive Technology- ICAT) द्वारा आयोजित इस शिखर सम्मेलन का आयोजन 27 – 29 नवंबर, 2019 तक NCR स्थित मानेसर में किया गया। इसका उद्देश्य स्मार्ट एवं हरित भविष्य के लिये उन्नत ऑटोमोटिव तकनीकों के त्वरित अनुपालन,समावेशन एवं विकास हेतु नए विचारों, जानकारियों, वैश्विक अनुभवों, नवाचारों और भावी तकनीकी रुझानों को साझा करना है।[३] इसके द्वारा ऑटोमोटिव उद्योग के सभी हितधारकों को एकजुट करने के लिये उन्हें एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी जहाँ प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर हुई प्रगति को समझने के लिये चर्चा की जाएगी। विभिन्न देशों के प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक एवं अनुसंधान संगठनों तथा परीक्षण प्रयोगशालाओं में कार्यरत विशेषज्ञ भी इस शिखर सम्मेलन में शिरकत करेंगे और स्मार्ट एवं हरित प्रौद्योगिकियों के विकास से जुड़े अपने अनुभवों तथा ज्ञान को साझा करेंगे।
मेक इन इंडिया के तहत पहला मेट्रो कोच हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में देश का पहला ‘मेक इन इंडिया मेट्रो कोच’ लॉन्च किया है। उल्लेखनीय है कि यह मेट्रो कोच BEML लिमिटेड द्वारा निर्मित है।

BEML लिमिटेड (पूर्व में भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड) एक मिनीरत्न श्रेणी -1 की कंपनी है। इसकी स्थापना मई 1964 में रेल कोच और स्पेयर पार्ट्स तथा खनन उपकरणों के निर्माण के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के रूप में की गई थी। इसका मुख्यालय कर्नाटक के बंगलूरू में स्थित है तथा इसके तत्त्वावधान में 9 विनिर्माण इकाइयाँ कार्यरत हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की यह कंपनी अब तीन प्रमुख कार्यक्षेत्रों के अंतर्गत कार्य करती है-

  1. खनन और निर्माण
  2. रक्षा
  3. रेल और मेट्रो

खाद्य प्रसंस्करण एवं संबंधित उद्योग सम्पादन

  • मेगा फूड पार्क(Mega Food Park)

06 सितंबर, 2019 को केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने तेलंगाना के निज़ामाबाद ज़िले में लक्कमपल्ली नामक स्थान पर मेगा फूड पार्क का उद्घाटन किया।

78 एकड़ भू-क्षेत्र में स्थापित,यह तेलंगाना राज्य का पहला मेगा फ़ूड पार्क है।
इसका प्रमोटर मेसर्स स्मार्ट एग्रो फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड है।इसकी लागत 108.95 करोड़ रुपए है।
इस फूड पार्क के निकट गोदाम, कोल्ड स्टोरेज और डीप फ्रीज भंडार बनाए गए हैं।

लाभ

  1. स्मार्ट एग्रो मेगा फूड पार्क से निजामाबाद ज़िले तथा पड़ोसी निर्मल, जगतियाल, राजन्नासिरसिल्ला कामरेड्डी ज़िले और महाराष्ट्र के नांदेड़ ज़िले के लोगों को लाभ मिलेगा।
  2. इस मेगा फूड पार्क का कुल राजस्व 14 हज़ार करोड़ रुपए होगा।
  3. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 50 हज़ार युवाओं को रोज़गार देगा तथा एक लाख किसान इस सुविधा से लाभान्वित होंगे।
  4. मेगा फूड पार्कों से वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी।

मेगा फूड पार्क योजना के तहत सरकार प्रति परियोजना 50 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

देश के पहले मेगा फूड पार्क (श्रीनी मेगा फूड पार्क) की स्थापना आंध्र प्रदेश के चित्तूर नामक स्थान पर की गई थी।
  • राष्ट्रीय प्रयोगशाला निर्देशिका

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री द्वारा राष्ट्रीय प्रयोगशाला निर्देशिका (National Lab Directory) का शुभारंभ किया गया, जो उद्योगों, शिक्षाविदों, शोधकर्त्ताओं और अन्य हितधारकों की सभी परीक्षण आवश्यकताओं के लिये वन-स्टॉप-शॉप है।

भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) अच्छे मानक स्थापित कर रहा है जो वैश्विक बेंचमार्क से मेल खाते हैं। अब तक लगभग 4500 प्रयोगशालाओं को इस निर्देशिका के माध्यम से जोड़ा गया है, जो परीक्षण के लिये वन स्टॉप शॉप की व्यवस्था प्रदान करेगा जहाँ उत्पादों को भी देखा जा सकता है। नेशनल लैब डायरेक्टरी में वर्तमान में NBL, BIS मान्यता प्राप्त, हॉलमार्किंग लैब शामिल हैं। FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India) , APEDA (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) तथा EIC (Export Inspection Council) द्वारा मान्यता प्राप्त/अधिसूचित प्रयोगशालाओं को भी तद्नुसार शामिल किया जा सकता है। किसी उत्पाद के BIS लाइसेंस/पंजीकरण के लिये सार्वजनिक वेब इंटरफेस और एप भी विकसित किया गया है। परीक्षण हेतु खोज लाइसेंस संख्या/पंजीकरण संख्या और उत्पाद या उत्पादों के समूह द्वारा भी हो सकती है। यह निर्देशिका सभी हितधारकों जैसे निर्माताओं, उपभोक्ताओं, नियामक एजेंसियों, सरकार और अनुसंधान संस्थानों को उन परीक्षण सुविधाओं की पहचान करने में सहायता प्रदान करेगी जो प्रासंगिक उत्पादों के अनुसंधान और विकास के उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु परीक्षण के लिये आवश्यक हैं।

विशेष प्रयोजन इकाई या SPV किसी कंपनी की एक सहायक कंपनी होती है जो मुख्य संगठन को दिवालिया होने से बचाती है।

SPV ज़्यादातर बाज़ार से फंड जुटाने के लिये बनाई जाती है। तकनीकी रूप से SPV एक कंपनी की तरह ही कार्य करती है। इसे कंपनी अधिनियम में निर्धारित कंपनी के नियमों का पालन करना होता है। एक कंपनी की तरह, SPV एक कृत्रिम व्यक्ति है। इसमें एक कानूनी व्यक्ति के सभी गुण निहित होते हैं। यह SPV,शेयर लेने वाले सदस्यों से स्वतंत्र होती है।

वस्त्र उद्दोग सम्पादन

  • SU.RE’ परियोजना- कपडा मंत्री द्वारा मुंबई में लॉन्च किया गया । SURE का तात्पर्य ‘सस्टेनेबल रिज़ॉल्यूशन’ (Sustainable Resolution) से है जो भारतीय फैशन उद्योग हेतु स्वच्छ वातावरण के निर्माण में योगदान देगा।

यह परियोजना क्लॉथिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (CMAI); यूनाइटेड नेशंस इंडिया, IMG Reliance तथा कपडा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई है। यह फ्रेमवर्क उद्योगों को अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने,संसाधन दक्षता बढ़ाने,अपशिष्ट और जल प्रबंधन से निपटने और दीर्घकालिक स्थिरता लक्ष्यों को प्राप्त करने तथा सकारात्मक सामाजिक प्रभाव पैदा करने में मदद करेगा। SU.RE प्रोजेक्ट भारतीय परिधान उद्योग द्वारा भारतीय फैशन उद्योग के लिये एक स्थायी मार्ग निर्धारित करने के लिये एक प्रतिबद्धता है।

प्रोजेक्ट SU.RE से संबंधित पाँच सूत्री संकल्प इस प्रकार हैं:-
  1. ब्रांड द्वारा वर्तमान में उत्पादित किये जा रहे कपड़ों के पर्यावरणीय प्रभाव की पूरी समझ विकसित करना।
  2. पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाले प्रमाणित कच्चे माल को लगातार प्राथमिकता देने और उपयोग करने के लिये एक स्थायी सोर्सिंग नीति विकसित करना।
  3. स्थायी और नवीकरणीय सामग्री और प्रक्रियाओं का चयन करना।
  4. हमारे ऑनलाइन और फिजिकल स्टोर्स, प्रोडक्ट टैग/लेबलिंग, सोशल मीडिया, विज्ञापन अभियानों और घटनाओं के माध्यम से उपभोक्ताओं तथा मीडिया के लिये प्रभावी ढंग से सतत् विकास की पहल करना।

इन कार्यों के माध्यम से, वर्ष 2025 तक हमारी आपूर्ति श्रृंखला सतत् विकास के अनुरूप हो सकेगी तथा जलवायु परिवर्तन जैसे महत्त्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों में योगदान देते हुए भारत संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्य (SDG-12) को प्राप्त कर पायेगा।

सूती धागे के निर्यात में गिरावट COTTON YARN EXPORTS DECLINE कॉटन टेक्सटाइल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (TEXPROCIL) के अनुसार, जुलाई, 2019 में सूती धागों के निर्यात में वर्ष 2018 की तुलना में 44% की गिरावट आई है।


कपड़ा एवं वस्त्र के निर्यात में भारत की वैश्विक हिस्सेदारी में भी गिरावट देखी गई। भारत वर्ष 2014-2017 तक कपड़ा एवं वस्त्र का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक था, अब यह पाँचवें स्थान पर आ गया है। निर्यात में कमी का प्रमुख कारण भारतीय सूती धागों पर 3.5% से 4% ड्यूटी (निर्यात कर) लगाया जाना है।

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम सम्पादन

  • ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा MSME क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता से संबंधित जानकारी प्रदान करने हेतु सिद्धि पोर्टल (SIDHIEE Portal) का शुभारंभ किया गया। इस पोर्टल का शुभारंभ MSME क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के विषय पर BEE द्वारा आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में किया गया। इस पोर्टल में उपयोगी सूचनाओं के साथ ही ऊर्जा दक्षता प्रौद्योगिकियों को अपनाने हेतु 50 मल्टीमीडिया ट्यूटोरियल वीडियो हैं। विश्व में चीन के बाद सबसे बड़ा MSME क्षेत्रक भारत का है। इसलिये इस क्षेत्र में ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देना महत्त्वपूर्ण हैं।

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो(Bureau of Energy Efficiency- BEE) भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के अधीन एक सांविधिक निकाय है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था में ऊर्जा संरक्षण को बढ़ाने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ रणनीतियों को विकसित करता है। ऊर्जा संरक्षण अधिनियम के तहत उपलब्ध मौजूदा संसाधनों और बुनियादी ढांँचे की पहचान एवं उपयोग हेतु नामित उपभोक्ताओं, एजेंसियों तथा अन्य संगठनों के साथ समन्वय स्थापित करता है।

  • तेलंगाना औद्योगिक स्वास्थ्य क्लिनिक की शुरुआत सूक्ष्म और लघु विनिर्माण उद्यमों को उनकी बिगड़ती आर्थिक स्थिति से बचाने के लिये तेलंगाना सरकार ने की।

इसे एक फिनटेक (Fintech-Financial Technology) के रूप में वर्ष 2018 में स्थापित किया गया था जो गैर बैंकिंग वित्त कंपनी (NBFC) के अंतर्गत आती है। इसे तेलंगाना सरकार और तेलंगाना औद्योगिक विकास निगम द्वारा मिलकर स्थापित किया गया है। उद्देश्य:-

  1. उत्तरदायी परामर्श जैसी सेवाओं के माध्यम से सूक्ष्म और लघु विनिर्माण उद्यमों की स्थिति में सुधार लाना।
  2. बेहतर अनुपालन मानकों द्वारा सूक्ष्म और लघु विनिर्माण उद्यमों की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करना।
  3. एक स्थायी कामकाजी वातावरण का समर्थन और संवर्द्धन करना।
  4. सूक्ष्म और लघु विनिर्माण उद्यमों के क्रेताओं द्वारा शीघ्र भुगतान सुनिश्चित कराने में भूमिका निभाना।
  5. इक्विटी प्लेटफार्मों जैसे-नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में क्षमताशील सूक्ष्म और लघु विनिर्माण उद्यमों को बढ़ावा देना।
  • प्रोजेक्ट री-प्लान (REPLAN) की शुरुआत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के तहत खादी और ग्रामोद्योग आयोग (Khadi and Village Industries Commission- KVIC) द्वारा की गई है। इसका पूरा नाम REducing PLAstic in Nature अर्थात् ‘प्रकृति में प्लास्टिक को कम करना’ है।

प्रोजेक्ट री-प्लान के तहत, कैरी बैग और हस्तनिर्मित कागज बनाने के लिये अपशिष्ट प्लास्टिक को एकत्र, साफ और उपचारित कर कच्चे माल के साथ 80% (लुगदी/पल्प) और 20% (प्लास्टिक अपशिष्ट) के अनुपात में मिश्रित किया जाता है।

  • खादी व ग्रामोद्योग आयोग (Khadi and Village Industries Commission- KVIC) ने वाराणसी के सेवापुरी में पहला टेराकोटा ग्राइंडर (Terracota Grinder) लॉन्च किया है।

इस मशीन के द्वारा बेकार और टूटे बर्तनों का पाउडर बना कर बर्तन निर्माण में इसका उपयोग पुनः उपयोग किया जा सकेगा। इससे पहले बेकार पड़े मिट्टी के बर्तनों को खल-मूसल के द्वारा पाउडर के रूप में परिवर्तित किया जाता था तथा इसके महीन पाउडर को साधारण मिट्टी में मिलाया जाता था। एक निश्चित मात्रा में इस पाउडर को मिलाने से नए तैयार होने वाले बर्तन अधिक मज़बूत होते हैं। इससे बर्तन के निर्माण में आने वाली लागत में भी कमी आएगी और बर्तन बनाने के लिये मिट्टी की कमी की समस्या भी दूर होगी। साथ ही गाँवों में रोज़गार के अवसर सृजित होंगे।

  • टेक सक्षम परियोजना की शुरूआत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) नेकी है। यह MSME और भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की भागीदारी वाली एक परियोजना है, जो MSMEs द्वारा उनके विकास में आने वाले तकनीकी अंतराल को संबोधित करने के लिये प्रौद्योगिकी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों डेल टेक्नोलॉजीज इंडिया, एचपी इंडिया आदि को एक मंच पर लाती है।

तकनीक सक्षमता के माध्यम से MSMEs के विकास में तेज़ी लाने के लिये 'टेक सक्षम' परियोजना शुरू की गई है। इसका लक्ष्य MSMEs के लिये प्रौद्योगिकी अपनाने संबंधी अंतराल को कम करना है ताकि उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी होने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके, देश के निर्यात में उनके योगदान को बढ़ाया जा सके और लागत क्षमता का लाभ उठाया जा सके।

  • लघु व्यापारी मानधन योजना(विकास) के तहत 60 वर्ष की आयु के बाद छोटे दुकानदारों, खुदरा व्यापारियों और स्वरोज़गार करने वाले लोगों के लिये न्यूनतम ₹3000 प्रतिमाह की पेंशन सुनिश्चित की जाएगी।

यह कार्य सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के सरकार के प्रयासों के हिस्से के रूप में किया जा रहा है। 18-40 वर्ष की आयु के सभी छोटे दुकानदार और स्व-नियोजित व्यक्ति तथा 1.5 करोड़ रुपए से कम जीएसटी टर्नओवर वाले खुदरा व्यापारी इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिये अपना नामांकन कर सकते हैं।

  • इस योजना से 3 करोड़ से अधिक छोटे दुकानदारों और व्यापारियों को लाभ प्राप्त होने की उम्मीद है।
  • यह योजना स्व-घोषणा पर आधारित है क्योंकि इसमें आधार और बैंक खाते को छोड़कर किसी भी अन्य दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं है। इच्छुक व्यक्ति देश भर में स्थित 3,25,000 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर्स (Common Service Centres) के माध्यम से अपना नामांकन कर सकते हैं।
  • इस योजना में भारत सरकार भी बराबर का योगदान देगी। उदाहरण के लिये, यदि 29 वर्ष की आयु का व्यक्ति प्रतिमाह 100 रुपए का योगदान देता है, तो केंद्र सरकार भी हर महीने ग्राहक के पेंशन खाते में उतनी ही राशि का योगदान करेगी।
  • छोटे कारोबारियों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए मोदी सरकार ने 12 सितंबर को झारखंड की राजधानी रांची में प्रधानमंत्री लघु व्यापारी मानधन योजना की शुरुआत की थी।
  • लघु व्यापारी मानधन योजना का 55 रुपये प्रतिमाह से प्रीमियम शुरू होता है. प्रीमियम की रकम बढ़ती उम्र के हिसाब से 200 रुपये महीने तक हो सकती है।
  • आयकर देने वाले व्यापारियों को भी इसका लाभ नहीं मिलेगा।
  • समर्थ-'

भारत के प्रमुख ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस फ्लिपकार्ट ने भारतीय कारीगरों, बुनकरों और शिल्पकारों को सशक्त बनाने के लिये एक नई पहल 'समर्थ' (Samarth) लॉन्च की है। इसके लिये फ्लिपकार्ट ने गैर-सरकारी संगठनों (NGO) सरकारी निकायों और आजीविका मिशन के साथ भागीदारी की है। इस कदम से इन अनधिकृत समुदायों को पूरे भारतीय बाज़ार तक पहुँच बनाने तथा 150 मिलियन से अधिक ग्राहकों के साथ जुड़ने में मदद मिलेगी। इसके तहत महिलाओं की अगुवाई वाले उद्यमों पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ अलग-अलग तरह के उद्यमी, कारीगर और बुनकर, (जो अक्सर कार्यशील पूंजी, गरीब बुनियादी ढाँचे तक पहुँच की कमी तथा अपर्याप्त प्रशिक्षण जैसी समस्याओं का सामना करते हैं) पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। वित्त एवं कॉर्पोरेट मंत्रालय ने भी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्रों का समर्थन करने तथा ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों को प्रोत्साहित करने के लिये विभिन्न उपाय किये हैं। ई-कॉमर्स के ज़रिये अगले कुछ वर्षों में 1 मिलियन रोज़गार सृजित होने की साथ ही लॉजिस्टिक्स एवं वेयरहाउसिंग जैसे उद्योगों में रोजगार बढ़ने की भी संभावना है।

अंबेडकर हस्तशिल्प विकास योजना वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान इस योजना के तहत निर्माता कंपनी के कार्यक्षेत्र के बारे में कारीगरों को सामूहिक रूप से शिक्षित करने के लिये एक अभियान की पहल की है।

कपड़ा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई अंबेडकर हस्तशिल्प विकास योजना के अंतर्गत कारीगरों को सामूहिक रूप से शिक्षित करने का उद्देश्य दीर्घकालिक व्यापार विकास को बढ़ावा देना तथा देशभर के विभिन्न समूह क्षेत्रों में उत्पादक कंपनियों के निर्माण के लिये भावी कारीगरों/ स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को प्रेरित करना है। इस योजना के तहत सरकार ने देशभर में 90 समूहों की पहचान कर उन्हें सामूहिक रूप से शिक्षित करने का निर्णय लिया है। इसके अंतर्गत आकांक्षी ज़िलों, महिला समूहों, कमज़ोर वर्गों तथा संभावित निर्यातक समूहों को भी कवर किया जाएगा। इस योजना का लक्ष्य स्वयं-सहायता समूहों/कारीगरों की आत्मनिर्भरता को सुनिश्चित करके 3 साल की समयावधि में इन समूहों में परिवर्तन लाना है ताकि दीर्घकालिक व्यापार विकास में ऐसे समूहों का योगदान सुनिश्चित किया जा सके। इस योजना के तहत सरकार ने आधार लिंक पहचान कार्ड, विपणन सुविधा, मुद्रा ऋण, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना तथा आम आदमी बीमा योजना आदि सुविधाओं के लिये देशभर में 300 से अधिक स्थानों पर हस्तकला सहयोग शिविरों का आयोजन किया है।

वर्ष 2001-2002 में कपड़ा मंत्रालय ने अंबेडकर हस्तशिल्प विकास योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के अंतर्गत कारीगरों/हस्तशिल्पियों को स्वयं सहायता समूह के निर्माण एवं ऋण देने के उद्देश्य से स्वयं सहायता समूहों के गठन तथा सामुदायिक व्यवसाय उद्यमों को चलाने के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया गया। इस योजना की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं: अम्बेडकर हस्तशिल्प विकास योजना (आधारभूत सर्वे एवं कारीगरों को एकत्र करना) डिज़ाइन एवं प्रौद्योगिकी उन्नयन मानव संसाधन विकास कारीगरों को सीधा लाभ अवसंरचना एवं तकनीकी सहयोग अनुसंधान एवं विकास विपणन सहायता और सेवाएँ


अर्बन हाट केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय (Union Ministry of Textile) को बिहार के मधुबनी में हस्तशिल्प और शिल्पकार के लिये शहरी हाट स्थापित करने का प्रस्ताव मिला है। यह प्रस्ताव मधुबनी ज़िले के ज़िला ग्रामीण विकास प्राधिकरण (DRDA) ने पेश किया है। इसका उद्देश्य हथकरघा बुनकरों और कारीगरों के लिये मध्यम एजेंसियों को खत्म करके बड़े शहरों तथा महानगरीय शहरों में एक स्थायी विपणन का बुनियादी ढाँचा स्थापित करना है। शिल्पकारों एवं बुनकरों को सीधे विपणन की सुविधा प्रदान करने के लिये बड़े शहरों/महानगरों में अर्बन हाट स्थापित किये जाएंगे। इस परियोजना का कार्यान्वयन राज्य हस्तशिल्प (State Handicrafts), हथकरघा विकास निगम (Handlooms Development Corporations) तथा पर्याप्त वित्तीय संसाधनों एवं संगठनात्मक क्षमता वाले पर्यटन विकास निगम द्वारा किया जाएगा। राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर की हथकरघा एजेंसियाँ/निगम/सहकारी समितियाँ/प्राथमिक सहकारी समितियाँ/बुनकर/कारीगर अर्बन हाट पहल के लिये पात्र होंगे। प्रत्येक इकाई के लिये अधिकतम वित्तीय सीमा 300 लाख रुपए है।

सिल्क समग्र योजना भारत के केंद्रीय क्षेत्र की योजना के तहत केंद्रीय रेशम बोर्ड के माध्यम से देश में सेरीकल्चर (रेशम पालन) के विकास के लिये वर्ष 2017-2020 के लिये ‘सिल्क समग्र’ (Silk Samagra) योजना लागू की गई है। इस योजना का उद्देश्य घरेलू रेशम की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार करना है, ताकि आयातित रेशम पर देश की निर्भरता कम हो सके।योजना के तहत रेशम पालन हितधारकों को उन्मुख घटकों जैसे- किसान नर्सरी का निर्माण, उन्नत शहतूत की किस्मों का रोपण, सिंचाई, ऊष्मायन (Incubation) सुविधा, पालन घरों का निर्माण, पालन उपकरण, कीटाणुशोधन एवं अन्य आवश्यक सामाग्रियों के लिये डोर-टू-डोर सेवा एजेंटों आदि द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी। कपड़ा मंत्रालय द्वारा उत्तर-पूर्व क्षेत्र में वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देने के लिये लागू नॉर्थ ईस्ट रीजन टेक्सटाइल प्रमोशन स्कीम (North East Region Textile Promotion Scheme- NERTPS) के तहत 38 सेरीकल्चर परियोजनाओं को शुरू किया गया है। ये परियोजनाएँ तीन व्यापक श्रेणियों के अंतर्गत चिन्हित संभावित ज़िलों में लागू की गई हैं। इन परियोजनाओं के माध्यम से रेशम कीट पालन और संबद्ध गतिविधियों के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचे तथा स्थानीय लोगों को कौशल प्रदान किया जाएगा।


अंतर्राष्ट्रीय सहयोग योजना(International cooperation scheme)सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा लागू इस योजना का उद्देश्य MSMEs की क्षमता बढ़ाने, अपने उत्पादों की पहुँच नए बाज़ारों तक सुनिश्चित करने, विनिर्माण क्षमता में सुधार हेतु नई तकनीकों की खोज करना है। इस योजना के अंतर्गत पात्र राज्य/केंद्र सरकार के संगठनों, पंजीकृत उद्योग संघों एवं सोसाइटियों को अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों/व्यापार मेलों/खरीदार मेलों आदि में भाग लेने के लिये केंद्र/राज्य सरकार के प्रतिपूर्ति के आधार पर वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह योजना अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भागीदारी के माध्यम से निर्यात के नए अवसरों की खोज, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नेटवर्क तक पहुँच, प्रौद्योगिकी विकास, आधुनिकीकरण, बेहतर प्रतिस्पर्द्धा, बेहतर विनिर्माण के प्रति जागरूकता आदि से MSME का समर्थन करती है।

  • गो ट्राइबल कैंपेनकेंद्रीय जनजाति कार्य मंत्रालय के अंतर्गत ट्राइब्स इंडिया (Tribes India) द्वारा ‘गो ट्राइबल कैंपेन’ लॉन्च किया गया है।
ट्राइफेड (TRIFED) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य जनजातीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न संगठनों के साथ समझौता और सहयोग करना है।
इस कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं–
  1. जनजातीय हस्तशिल्प और प्राकृतिक उत्पादों को बढ़ावा देना।
  2. अमेज़न के साथ किये गए समझौते के अंतर्गत ट्राइब्स इंडिया और अमेज़न ग्लोबल मार्केटिंग, ट्राइब्स इंडिया के उत्पादों को Amazon.com के ज़रिये विश्व स्तर पर लॉन्च करेंगे।
  3. जनजातीय रेशम उत्पादों के विकास, संवर्द्धन व विक्रय तथा जनजातीय बुनकरों के सशक्तीकरण के लिये ट्राइब्स इंडिया केंद्रीय रेशम बोर्ड के साथ समझौता करेगा।
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती समारोह के अंतर्गत ट्राइफेड ने खादी कुर्ता और जैकेट लॉन्च किया है। इसके लिये ‘आई एम खादी’ (‘I Am Khadi’) फाउंडेशन के साथ समझौता किया गया है।
ट्राइफेड ने ग्रामीण विकास चेतना संस्था, बाड़मेर के साथ समझौता किया है। इसके साथ फैशनी परिधानों की एक नई श्रृंखला प्रस्तुत की जाएगी।
देश के विभिन्न हिस्सों के आदिवासियों द्वारा उत्पादित मडुआ,ज्वार,बाजरा,लाल चावल,शहद,लाख के उत्पाद,मसाले,कॉफी,चाय,हस्तनिर्मित साबुन आदि वस्तुओं का प्रदर्शन किया जाएगा।

भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ- ट्राइफेड: (The Tribal Cooperative Marketing Development Federation of India- TRIFED)

ट्राइफेड 1987 में अस्तित्व में आया।
यह जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर का एक शीर्ष संगठन है जो ट्राइब्स इंडिया ब्रांड के तहत जनजातीय कला व हस्तशिल्प समेत जनजातीय उत्पादों के विक्रय व विकास का कार्य करती है।
TRIFED का अपना पंजीकृत और प्रधान कार्यालय नई दिल्ली में स्थित है तथा देश में विभिन्न स्थानों पर स्थित 13 क्षेत्रीय कार्यालयों का नेटवर्क है।
  • जून 2019 में सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को समर्थन देने के लिये RBI पैनल ने 5,000 करोड़ रुपए की तनावग्रस्त परिसंपत्ति कोष (Stressed Asset Fund) तथा एक गैर-लाभकारी विशेष प्रयोजन व्हीकल(SPV) की स्थापना की सिफारिश की है। यह बैंकों को 20 लाख रुपये तक संपार्श्विक मुक्त लोन (Collateral Free Loan) का विस्तार करने और क्राउड फंडिंग में मदद करेगा।

सेबी के पूर्व चेयरमैन यू.के. सिन्हा की अध्यक्षता में MSMEs पर गठित विशेषज्ञ समिति ने सुझाव दिया है कि यह कोष उन सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्योगों के क्लस्टर इकाइयों को सहायता प्रदान करेगा जो बाह्य कारकों जैसे-प्लास्टिक पर प्रतिबंध,निर्यात के माध्यम से सामानों की डंपिंग आदि के कारण गैर निष्पादक होती जा रही हैं।

समिति ने कहा कि MSME मंत्रालय विभिन्न एजेंसियों द्वारा MSME के लिये विशेष रूप से अनुकूल व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र के लिये मार्ग प्रशस्त हेतु एक गैर-लाभकारी विशेष प्रयोजन व्हीकल(SPV) स्थापित करने पर विचार कर सकता है। राष्ट्रीय परिषद

इसके अलावा,इसने नीतियों के अभिसरण और एक समर्थक उद्यम तंत्र के निर्माण के लिये प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के लिये एक राष्ट्रीय परिषद की स्थापना की सिफारिश की है, जिसमें MSME के मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि, ग्रामीण विकास, रेलवे और सड़क परिवहन मंत्री भी सदस्य के रूप में शामिल होंगे । यह भी कहा गया है कि सभी राज्यों में भी MSME के लिये इसी तरह की परिषदें होनी चाहिये।

समिति के अनुसार, MSME को इक्विटी सहायता प्रदान करने के लिये भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) को एक नोडल एजेंसी के रूप में एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाना चाहिये जिसमें विभिन्न उद्यम पूंजी कोष भाग ले सकें। इस संबंध में, समिति ने MSME क्षेत्र में निवेश करने वाली उद्यम पूंजी/निजी इक्विटी फर्मों का समर्थन करने के लिये एक सरकार-प्रायोजित निधियों की निधि (Fund of Funds) स्थापित करने की सिफारिश की है।
समिति ने यह भी सिफारिश की कि बैंकिंग लोन पोर्टल (PSBLoansIn59Minutes) जो अभी तक केवल मौजूदा उद्यमियों तक ही सीमित है, को नए उद्यमियों की सेवा करने की अनुमति दी जानी चाहिये जिसमें प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और स्टैंड-अप इंडिया के तहत ऋण के लिये आवेदन करने वाले लोग भी शामिल हों और ऋण की सीमा को बढ़ाकर 5 करोड़ रुपए किया जाना चाहिये।
समिति की सिफारिशों के अनुसार, सभी क्रेडिट गारंटी योजनाएँ जैसे- सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिये क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट और राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट कंपनी, RBI विनियमन और पर्यवेक्षण के अधीन होने चाहिये।
  • तेलंगाना औद्योगिक स्वास्थ्य क्लिनिक की शुरुआत सूक्ष्म और लघु विनिर्माण उद्यमों को उनकी बिगड़ती आर्थिक स्थिति से बचाने के लिये तेलंगाना सरकार ने की।

इसे एक फिनटेक (Fintech-Financial Technology) के रूप में वर्ष 2018 में स्थापित किया गया था जो गैर बैंकिंग वित्त कंपनी (NBFC) के अंतर्गत आती है। इसे तेलंगाना सरकार और तेलंगाना औद्योगिक विकास निगम द्वारा मिलकर स्थापित किया गया है। उद्देश्य:-

  1. उत्तरदायी परामर्श जैसी सेवाओं के माध्यम से सूक्ष्म और लघु विनिर्माण उद्यमों की स्थिति में सुधार लाना।
  2. बेहतर अनुपालन मानकों द्वारा सूक्ष्म और लघु विनिर्माण उद्यमों की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करना।
  3. एक स्थायी कामकाजी वातावरण का समर्थन और संवर्द्धन करना।
  4. सूक्ष्म और लघु विनिर्माण उद्यमों के क्रेताओं द्वारा शीघ्र भुगतान सुनिश्चित कराने में भूमिका निभाना।
  5. इक्विटी प्लेटफार्मों जैसे-नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में क्षमताशील सूक्ष्म और लघु विनिर्माण उद्यमों को बढ़ावा देना।
  • प्रोजेक्ट री-प्लान (REPLAN) की शुरुआत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के तहत खादी और ग्रामोद्योग आयोग (Khadi and Village Industries Commission- KVIC) द्वारा की गई है। इसका पूरा नाम REducing PLAstic in Nature अर्थात् ‘प्रकृति में प्लास्टिक को कम करना’ है।

प्रोजेक्ट री-प्लान के तहत, कैरी बैग और हस्तनिर्मित कागज बनाने के लिये अपशिष्ट प्लास्टिक को एकत्र, साफ और उपचारित कर कच्चे माल के साथ 80% (लुगदी/पल्प) और 20% (प्लास्टिक अपशिष्ट) के अनुपात में मिश्रित किया जाता है।

  • खादी व ग्रामोद्योग आयोग (Khadi and Village Industries Commission- KVIC) ने वाराणसी के सेवापुरी में पहला टेराकोटा ग्राइंडर (Terracota Grinder) लॉन्च किया है।

इस मशीन के द्वारा बेकार और टूटे बर्तनों का पाउडर बना कर बर्तन निर्माण में इसका उपयोग पुनः उपयोग किया जा सकेगा। इससे पहले बेकार पड़े मिट्टी के बर्तनों को खल-मूसल के द्वारा पाउडर के रूप में परिवर्तित किया जाता था तथा इसके महीन पाउडर को साधारण मिट्टी में मिलाया जाता था। एक निश्चित मात्रा में इस पाउडर को मिलाने से नए तैयार होने वाले बर्तन अधिक मज़बूत होते हैं। इससे बर्तन के निर्माण में आने वाली लागत में भी कमी आएगी और बर्तन बनाने के लिये मिट्टी की कमी की समस्या भी दूर होगी। साथ ही गाँवों में रोज़गार के अवसर सृजित होंगे।

  • टेक सक्षम परियोजना की शुरूआत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) नेकी है। यह MSME और भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की भागीदारी वाली एक परियोजना है, जो MSMEs द्वारा उनके विकास में आने वाले तकनीकी अंतराल को संबोधित करने के लिये प्रौद्योगिकी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों डेल टेक्नोलॉजीज इंडिया, एचपी इंडिया आदि को एक मंच पर लाती है।

तकनीक सक्षमता के माध्यम से MSMEs के विकास में तेज़ी लाने के लिये 'टेक सक्षम' परियोजना शुरू की गई है। इसका लक्ष्य MSMEs के लिये प्रौद्योगिकी अपनाने संबंधी अंतराल को कम करना है ताकि उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी होने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके, देश के निर्यात में उनके योगदान को बढ़ाया जा सके और लागत क्षमता का लाभ उठाया जा सके।

  • लघु व्यापारी मानधन योजना(विकास) के तहत 60 वर्ष की आयु के बाद छोटे दुकानदारों, खुदरा व्यापारियों और स्वरोज़गार करने वाले लोगों के लिये न्यूनतम ₹3000 प्रतिमाह की पेंशन सुनिश्चित की जाएगी।

यह कार्य सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के सरकार के प्रयासों के हिस्से के रूप में किया जा रहा है। 18-40 वर्ष की आयु के सभी छोटे दुकानदार और स्व-नियोजित व्यक्ति तथा 1.5 करोड़ रुपए से कम जीएसटी टर्नओवर वाले खुदरा व्यापारी इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिये अपना नामांकन कर सकते हैं।

  • इस योजना से 3 करोड़ से अधिक छोटे दुकानदारों और व्यापारियों को लाभ प्राप्त होने की उम्मीद है।
  • यह योजना स्व-घोषणा पर आधारित है क्योंकि इसमें आधार और बैंक खाते को छोड़कर किसी भी अन्य दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं है। इच्छुक व्यक्ति देश भर में स्थित 3,25,000 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर्स (Common Service Centres) के माध्यम से अपना नामांकन कर सकते हैं।
  • इस योजना में भारत सरकार भी बराबर का योगदान देगी। उदाहरण के लिये, यदि 29 वर्ष की आयु का व्यक्ति प्रतिमाह 100 रुपए का योगदान देता है, तो केंद्र सरकार भी हर महीने ग्राहक के पेंशन खाते में उतनी ही राशि का योगदान करेगी।
  • छोटे कारोबारियों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए मोदी सरकार ने 12 सितंबर को झारखंड की राजधानी रांची में प्रधानमंत्री लघु व्यापारी मानधन योजना की शुरुआत की थी।
  • लघु व्यापारी मानधन योजना का 55 रुपये प्रतिमाह से प्रीमियम शुरू होता है. प्रीमियम की रकम बढ़ती उम्र के हिसाब से 200 रुपये महीने तक हो सकती है।
  • आयकर देने वाले व्यापारियों को भी इसका लाभ नहीं मिलेगा।
  • समर्थ-'

भारत के प्रमुख ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस फ्लिपकार्ट ने भारतीय कारीगरों, बुनकरों और शिल्पकारों को सशक्त बनाने के लिये एक नई पहल 'समर्थ' (Samarth) लॉन्च की है। इसके लिये फ्लिपकार्ट ने गैर-सरकारी संगठनों (NGO) सरकारी निकायों और आजीविका मिशन के साथ भागीदारी की है। इस कदम से इन अनधिकृत समुदायों को पूरे भारतीय बाज़ार तक पहुँच बनाने तथा 150 मिलियन से अधिक ग्राहकों के साथ जुड़ने में मदद मिलेगी। इसके तहत महिलाओं की अगुवाई वाले उद्यमों पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ अलग-अलग तरह के उद्यमी, कारीगर और बुनकर, (जो अक्सर कार्यशील पूंजी, गरीब बुनियादी ढाँचे तक पहुँच की कमी तथा अपर्याप्त प्रशिक्षण जैसी समस्याओं का सामना करते हैं) पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। वित्त एवं कॉर्पोरेट मंत्रालय ने भी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्रों का समर्थन करने तथा ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों को प्रोत्साहित करने के लिये विभिन्न उपाय किये हैं। ई-कॉमर्स के ज़रिये अगले कुछ वर्षों में 1 मिलियन रोज़गार सृजित होने की साथ ही लॉजिस्टिक्स एवं वेयरहाउसिंग जैसे उद्योगों में रोजगार बढ़ने की भी संभावना है अंबेडकर हस्तशिल्प विकास योजना वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान इस योजना के तहत निर्माता कंपनी के कार्यक्षेत्र के बारे में कारीगरों को सामूहिक रूप से शिक्षित करने के लिये एक अभियान की पहल की है। कपड़ा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई अंबेडकर हस्तशिल्प विकास योजना के अंतर्गत कारीगरों को सामूहिक रूप से शिक्षित करने का उद्देश्य दीर्घकालिक व्यापार विकास को बढ़ावा देना तथा देशभर के विभिन्न समूह क्षेत्रों में उत्पादक कंपनियों के निर्माण के लिये भावी कारीगरों/ स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को प्रेरित करना है। इस योजना के तहत सरकार ने देशभर में 90 समूहों की पहचान कर उन्हें सामूहिक रूप से शिक्षित करने का निर्णय लिया है। इसके अंतर्गत आकांक्षी ज़िलों, महिला समूहों, कमज़ोर वर्गों तथा संभावित निर्यातक समूहों को भी कवर किया जाएगा। इस योजना का लक्ष्य स्वयं-सहायता समूहों/कारीगरों की आत्मनिर्भरता को सुनिश्चित करके 3 साल की समयावधि में इन समूहों में परिवर्तन लाना है ताकि दीर्घकालिक व्यापार विकास में ऐसे समूहों का योगदान सुनिश्चित किया जा सके। इस योजना के तहत सरकार ने आधार लिंक पहचान कार्ड, विपणन सुविधा, मुद्रा ऋण, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना तथा आम आदमी बीमा योजना आदि सुविधाओं के लिये देशभर में 300 से अधिक स्थानों पर हस्तकला सहयोग शिविरों का आयोजन किया है।

वर्ष 2001-2002 में कपड़ा मंत्रालय ने अंबेडकर हस्तशिल्प विकास योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के अंतर्गत कारीगरों/हस्तशिल्पियों को स्वयं सहायता समूह के निर्माण एवं ऋण देने के उद्देश्य से स्वयं सहायता समूहों के गठन तथा सामुदायिक व्यवसाय उद्यमों को चलाने के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया गया। इस योजना की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं: अम्बेडकर हस्तशिल्प विकास योजना (आधारभूत सर्वे एवं कारीगरों को एकत्र करना) डिज़ाइन एवं प्रौद्योगिकी उन्नयन मानव संसाधन विकास कारीगरों को सीधा लाभ अवसंरचना एवं तकनीकी सहयोग अनुसंधान एवं विकास विपणन सहायता और सेवाएँ अर्बन हाट केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय (Union Ministry of Textile) को बिहार के मधुबनी में हस्तशिल्प और शिल्पकार के लिये शहरी हाट स्थापित करने का प्रस्ताव मिला है। यह प्रस्ताव मधुबनी ज़िले के ज़िला ग्रामीण विकास प्राधिकरण (DRDA) ने पेश किया है। इसका उद्देश्य हथकरघा बुनकरों और कारीगरों के लिये मध्यम एजेंसियों को खत्म करके बड़े शहरों तथा महानगरीय शहरों में एक स्थायी विपणन का बुनियादी ढाँचा स्थापित करना है। शिल्पकारों एवं बुनकरों को सीधे विपणन की सुविधा प्रदान करने के लिये बड़े शहरों/महानगरों में अर्बन हाट स्थापित किये जाएंगे। इस परियोजना का कार्यान्वयन राज्य हस्तशिल्प (State Handicrafts), हथकरघा विकास निगम (Handlooms Development Corporations) तथा पर्याप्त वित्तीय संसाधनों एवं संगठनात्मक क्षमता वाले पर्यटन विकास निगम द्वारा किया जाएगा। राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर की हथकरघा एजेंसियाँ/निगम/सहकारी समितियाँ/प्राथमिक सहकारी समितियाँ/बुनकर/कारीगर अर्बन हाट पहल के लिये पात्र होंगे। प्रत्येक इकाई के लिये अधिकतम वित्तीय सीमा 300 लाख रुपए है। सिल्क समग्र योजना भारत के केंद्रीय क्षेत्र की योजना के तहत केंद्रीय रेशम बोर्ड के माध्यम से देश में सेरीकल्चर (रेशम पालन) के विकास के लिये वर्ष 2017-2020 के लिये ‘सिल्क समग्र’ (Silk Samagra) योजना लागू की गई है। इस योजना का उद्देश्य घरेलू रेशम की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार करना है, ताकि आयातित रेशम पर देश की निर्भरता कम हो सके।योजना के तहत रेशम पालन हितधारकों को उन्मुख घटकों जैसे- किसान नर्सरी का निर्माण, उन्नत शहतूत की किस्मों का रोपण, सिंचाई, ऊष्मायन (Incubation) सुविधा, पालन घरों का निर्माण, पालन उपकरण, कीटाणुशोधन एवं अन्य आवश्यक सामाग्रियों के लिये डोर-टू-डोर सेवा एजेंटों आदि द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी। कपड़ा मंत्रालय द्वारा उत्तर-पूर्व क्षेत्र में वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देने के लिये लागू नॉर्थ ईस्ट रीजन टेक्सटाइल प्रमोशन स्कीम (North East Region Textile Promotion Scheme- NERTPS) के तहत 38 सेरीकल्चर परियोजनाओं को शुरू किया गया है। ये परियोजनाएँ तीन व्यापक श्रेणियों के अंतर्गत चिन्हित संभावित ज़िलों में लागू की गई हैं। इन परियोजनाओं के माध्यम से रेशम कीट पालन और संबद्ध गतिविधियों के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचे तथा स्थानीय लोगों को कौशल प्रदान किया जाएगा।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग योजना(International cooperation scheme)सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा लागू इस योजना का उद्देश्य MSMEs की क्षमता बढ़ाने, अपने उत्पादों की पहुँच नए बाज़ारों तक सुनिश्चित करने, विनिर्माण क्षमता में सुधार हेतु नई तकनीकों की खोज करना है। इस योजना के अंतर्गत पात्र राज्य/केंद्र सरकार के संगठनों, पंजीकृत उद्योग संघों एवं सोसाइटियों को अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों/व्यापार मेलों/खरीदार मेलों आदि में भाग लेने के लिये केंद्र/राज्य सरकार के प्रतिपूर्ति के आधार पर वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह योजना अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भागीदारी के माध्यम से निर्यात के नए अवसरों की खोज, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नेटवर्क तक पहुँच, प्रौद्योगिकी विकास, आधुनिकीकरण, बेहतर प्रतिस्पर्द्धा, बेहतर विनिर्माण के प्रति जागरूकता आदि से MSME का समर्थन करती है।

  • गो ट्राइबल कैंपेनकेंद्रीय जनजाति कार्य मंत्रालय के अंतर्गत ट्राइब्स इंडिया (Tribes India) द्वारा ‘गो ट्राइबल कैंपेन’ लॉन्च किया गया है।
ट्राइफेड (TRIFED) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य जनजातीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न संगठनों के साथ समझौता और सहयोग करना है।
इस कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं–
  1. जनजातीय हस्तशिल्प और प्राकृतिक उत्पादों को बढ़ावा देना।
  2. अमेज़न के साथ किये गए समझौते के अंतर्गत ट्राइब्स इंडिया और अमेज़न ग्लोबल मार्केटिंग, ट्राइब्स इंडिया के उत्पादों को Amazon.com के ज़रिये विश्व स्तर पर लॉन्च करेंगे।
  3. जनजातीय रेशम उत्पादों के विकास, संवर्द्धन व विक्रय तथा जनजातीय बुनकरों के सशक्तीकरण के लिये ट्राइब्स इंडिया केंद्रीय रेशम बोर्ड के साथ समझौता करेगा।
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती समारोह के अंतर्गत ट्राइफेड ने खादी कुर्ता और जैकेट लॉन्च किया है। इसके लिये ‘आई एम खादी’ (‘I Am Khadi’) फाउंडेशन के साथ समझौता किया गया है।
ट्राइफेड ने ग्रामीण विकास चेतना संस्था, बाड़मेर के साथ समझौता किया है। इसके साथ फैशनी परिधानों की एक नई श्रृंखला प्रस्तुत की जाएगी।
देश के विभिन्न हिस्सों के आदिवासियों द्वारा उत्पादित मडुआ,ज्वार,बाजरा,लाल चावल,शहद,लाख के उत्पाद,मसाले,कॉफी,चाय,हस्तनिर्मित साबुन आदि वस्तुओं का प्रदर्शन किया जाएगा।

भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ- ट्राइफेड: (The Tribal Cooperative Marketing Development Federation of India- TRIFED)

ट्राइफेड 1987 में अस्तित्व में आया।
यह जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर का एक शीर्ष संगठन है जो ट्राइब्स इंडिया ब्रांड के तहत जनजातीय कला व हस्तशिल्प समेत जनजातीय उत्पादों के विक्रय व विकास का कार्य करती है।
TRIFED का अपना पंजीकृत और प्रधान कार्यालय नई दिल्ली में स्थित है तथा देश में विभिन्न स्थानों पर स्थित 13 क्षेत्रीय कार्यालयों का नेटवर्क है।
  • जून 2019 में सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को समर्थन देने के लिये RBI पैनल ने 5,000 करोड़ रुपए की तनावग्रस्त परिसंपत्ति कोष (Stressed Asset Fund) तथा एक गैर-लाभकारी विशेष प्रयोजन व्हीकल(SPV) की स्थापना की सिफारिश की है। यह बैंकों को 20 लाख रुपये तक संपार्श्विक मुक्त लोन (Collateral Free Loan) का विस्तार करने और क्राउड फंडिंग में मदद करेगा।

सेबी के पूर्व चेयरमैन यू.के. सिन्हा की अध्यक्षता में MSMEs पर गठित विशेषज्ञ समिति ने सुझाव दिया है कि यह कोष उन सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्योगों के क्लस्टर इकाइयों को सहायता प्रदान करेगा जो बाह्य कारकों जैसे-प्लास्टिक पर प्रतिबंध,निर्यात के माध्यम से सामानों की डंपिंग आदि के कारण गैर निष्पादक होती जा रही हैं।

समिति ने कहा कि MSME मंत्रालय विभिन्न एजेंसियों द्वारा MSME के लिये विशेष रूप से अनुकूल व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र के लिये मार्ग प्रशस्त हेतु एक गैर-लाभकारी विशेष प्रयोजन व्हीकल(SPV) स्थापित करने पर विचार कर सकता है। राष्ट्रीय परिषद

इसके अलावा,इसने नीतियों के अभिसरण और एक समर्थक उद्यम तंत्र के निर्माण के लिये प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के लिये एक राष्ट्रीय परिषद की स्थापना की सिफारिश की है, जिसमें MSME के मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि, ग्रामीण विकास, रेलवे और सड़क परिवहन मंत्री भी सदस्य के रूप में शामिल होंगे । यह भी कहा गया है कि सभी राज्यों में भी MSME के लिये इसी तरह की परिषदें होनी चाहिये।

समिति के अनुसार, MSME को इक्विटी सहायता प्रदान करने के लिये भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) को एक नोडल एजेंसी के रूप में एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाना चाहिये जिसमें विभिन्न उद्यम पूंजी कोष भाग ले सकें। इस संबंध में, समिति ने MSME क्षेत्र में निवेश करने वाली उद्यम पूंजी/निजी इक्विटी फर्मों का समर्थन करने के लिये एक सरकार-प्रायोजित निधियों की निधि (Fund of Funds) स्थापित करने की सिफारिश की है।
समिति ने यह भी सिफारिश की कि बैंकिंग लोन पोर्टल (PSBLoansIn59Minutes) जो अभी तक केवल मौजूदा उद्यमियों तक ही सीमित है, को नए उद्यमियों की सेवा करने की अनुमति दी जानी चाहिये जिसमें प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और स्टैंड-अप इंडिया के तहत ऋण के लिये आवेदन करने वाले लोग भी शामिल हों और ऋण की सीमा को बढ़ाकर 5 करोड़ रुपए किया जाना चाहिये।
समिति की सिफारिशों के अनुसार, सभी क्रेडिट गारंटी योजनाएँ जैसे- सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिये क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट और राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट कंपनी, RBI विनियमन और पर्यवेक्षण के अधीन होने चाहिये।

संदर्भ सम्पादन

  1. https://pib.gov.in/newsite/PrintHindiRelease.aspx?relid=66104
  2. https://inc42.com/buzz/india-rises-to-17th-spot-from-37th-in-startupblinks-startup-ecosystem-ranking/
  3. https://pib.gov.in/Pressreleaseshare.aspx?PRID=1593416