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हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन) सहायिका/पद
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सम्रथाई कौ अंग
पद
मंझन-कृत 'मधुमालती'
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पद
कबीर /
(१)काहे री नलिनी तूं कुमिलानी,
(२)अब का डरौं डर डरहि समाना,