चाँद का मुँह टेढ़ा है (गजानन माधव मुक्तिबोध)
चाँद का मुँह टेढ़ा है गजानन माधव 'मुक्तिबोध' द्वारा लिखी गई कविताओं का संग्रह है। यह पुस्तक 'भारतीय ज्ञानपीठ' द्वारा 1964 में प्रकाशित की गई थी।
- भूल-ग़लती
- पता नहीं...
- ब्रह्मराक्षस
- दिमागी गुहान्धकार का ओराँगउटाँग!
- लकड़ी का बना रावण
- चाँद का मुँह टेढ़ा है
- डूबता चाँद कब डूबेगा
- एक भूतपूर्व विद्रोही का आत्म-कथन
- मुझे पुकारती हुई पुकार
- मुझे क़दम क़दम पर
- मुझे याद आते हैं
- मुझे मालूम नहीं
- मेरे लोग
- मेरे सहचर मित्र
- मैं तुम लोगों से दूर हूँ
- कल जो हमने चर्चा की थी
- एक अन्तःकथा
- एक अरूप शून्य के प्रति
- ओ काव्यात्मन् फणिधर
- नक्षत्र - खण्ड
- चकमक की चिनगारियाँ
- शून्य
- जब प्रश्न-चिह्न बौखला उठे
- एक स्वप्न-कथा
- अन्तःकरण का आयतन
- इस चौड़े ऊँचे टीले पर
- चम्बल की घाटी में
- अँधेरे में